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कोरोना लाॅकडाउन बना वरदान

                                                          जालोर जिला प्रशासन के प्रयास लाए रंग मेहबुब सिंधी जालोर।  कोरोना संक्रमण महामारी स...




                                                         जालोर जिला प्रशासन के प्रयास लाए रंग


मेहबुब सिंधी
जालोर। 
कोरोना संक्रमण महामारी से बचाव के लिये लागू किया गया लाॅकडाउन एक मां के लिये उस वक्त वरदान बन गया जब एक मां का 12 वर्ष आयु से बिछड़ा बालक 15 साल बाद जवान होकर उसके सामने आकर बोला मां मैं तेरा बेटा हूं और जिन्दा हूं। सोचोे ऐसी स्थिति में उसकी मां को कितनी अपार खुशी हुई होगी, बेटे को कितना प्यार मिला होगा।
ऐसा ही हुआ झारखंड राज्य के लातेहार जिले में रहने वाली बासमती देवी के साथ। लगभग 15-16 साल पहले बासमती देवी पति जुगल सिंह अपने दो बेटों के साथ हंसी खुशी जीवन व्यतीत कर रहे थे। एक पुत्र बाबूलाल सिंह उर्फ अर्जुन सिंह मात्र 12 वर्ष की आयु में गायब हो गया। तमाम खोजबीन और पुलिस के प्रयासों के बाद भी उसका कोई सुराग नहीं मिला। पिता भी कर्ज ले लेकर उसे ढूंढता रहा और इस दुनिया से चल बसा। आखिर परिजनों ने जुगलसिंह की मृत्यु के साथ अर्जुन सिंह को मृतक समझकर रीति रिवाज अनुसार उसका भी अंतिम संस्कार कर लिया।
लेकिन अब बासमती देवी के लिये जालोर जिला कलक्टर हिमांशु गुप्ता जिनके निर्देश पर रानीवाड़ा के उपखंड अधिकारी प्रकाश चन्द अग्रवाल फरिश्ता बन गये हैं जिनकी वजह से अर्जुनसिंह को घर पहुंचाकर बासमती देवी की झोली को फिर से भर दिया है। इस मां की जुबान जालोर प्रशासन के अधिकारियों को प्रशंसा करते-करते नहीं थक रही है।
लाॅकडाउन के समय रानीवाड़ा रेलवे स्टेशन से सूचना मिली कि एक संदिग्ध युवक जो किसी घटना को अंजाम दे सकता है। उक्त सूचना पाकर रानीवाड़ा उपखंड अधिकारी ने उससे मौके पर पूछताछ की और स्क्रीनिंग करवाकर उसे क्वारेंटाईन सेंटर भेज दिया। एस.डी.एम. के निर्देश पर कि युवक प्रताड़ित सा लग रहा है तो पटवारी जबरदान चारण ने उसके पास बैठकर उसके बारे में जानकारी जुटाई।
अर्जुन सिंह ने बताया कि 15 साल पहले उसके गांव के सरदार ने बहला फुसला कर उसे कहीं दूर ईंट के भट्टे पर काम करने के लिये छोड़ दिया बाद में वह जोधपुर के रेस्टोरेंट पर छोड़कर उसे चला गया।
लाॅकडाउन में रेस्टोरेंट से निकलने का मिल गया उसे मौका
तब से रेस्टोरेंट का मालिक एक जोड़ी कपड़ा और दो समय की रोटी देकर 15 वर्ष से दिन-रात कार्य करवा रहा था। देश में लाॅकडाउन हो गया तो रेस्टोरेंट का मालिक भी रेस्टोरेंट बंद करके चला गया तो अर्जुन सिंह को वहां से निकलने का मौका मिल गया। उसे मां-बाप गांव का नाम तो याद था लेकिन झारखंड कहां है यह उसे पता नहीं था।
अर्जुन सिंह पैदल घर की तलाश में चलते-चलते आठ दिन में रानीवाड़ा पहुंच गया और मालगाड़ी से आगे जाने की कोशिश की तो गार्ड ने उसे पकड़ लिया। जब यह जानकारी उपखंड अधिकारी को मिली तो वे स्वयं अर्जुन सिंह से मिले और उसे उसकी मां तक पहुचाने की बात कही। एस.डी.एम. ने झारखंड के लातेहार थानाधिकारी से संपर्क किया।
थानाधिकारी अमित गुप्ता ने बताया कि इस नाम का लड़का गुम तो है लेकिन परिजनों ने उसके अंतिम संस्कार की रस्म भी पूरी कर ली है। मां जिंदा है जो आज भी उसका इंतजार कर रही है। जब मां को सूचना मिली तो उसका बेटा जिंदा है तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
इस पर जिला कलक्टर हिमांशु गुप्ता के निर्देश पर एसडीएम ने समाजसेवी मुकेश खंडेलवाल की मदद से तुरन्त कपड़े नकदी जुटाकर राज्य सरकार द्वारा चलाई गई विशेष रेलगाड़ी से उसे रांची भेज दिया गया जहां से उसे लातेहार भेज दिया गया। क्वारेंटाईन अवधि पूरी होने पर अर्जुन सिंह को उसकी मां बासमती के पास ले जाया गया जहां मां को देखते ही अर्जुन सिंह ने कहां मां तेरा बेटा आ गया और मां अपनी आखों में खुशी के आंसू लिये उठकर बेटे से लिपट गई। अर्जुन सिंह की मां उसके बेटे को घर तक पहुचाने के लिये जालोर जिला प्रशासन का गुणगान कर रही है।