जोधपुर। काहिरा,मिश्र की जर्मन यूनिवर्सिटी ऑफ काइरो में कोटा विश्विद्यालय के रसायन शास्त्र विभाग की सहायक आचार्य डॉ श्वेता व्यास ने कृषि आधा...
जोधपुर। काहिरा,मिश्र की जर्मन यूनिवर्सिटी ऑफ काइरो में कोटा विश्विद्यालय के रसायन शास्त्र विभाग की सहायक आचार्य डॉ श्वेता व्यास ने कृषि आधारित अवशेषों की जल शुद्धता में उपयोगिता पर आमन्त्रित व्याख्यान दिया।
काहिरा में 7 सितम्बर से 9 सितंबर तक संपन्न 14वी अरब इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन पॉलीमर साइंस एंड टेक्नोलॉजी में वे ऑस्ट्रीया, कज़ाकिस्तान, फ्रांस, जर्मनी, कोरिया, आदि के प्रबुद्ध वैज्ञानिकों के साथ वे भारत से आमन्त्रित एकमात्र रसायनज्ञ डॉ श्वेता व्यास रही। अपने व्याख्यान में उन्होंने सिंथेसिस एंड कैरेक्टराइज़ेशन ऑफ़ लिग्नोसल्लुलोस बेस्ड ननोसॉर्बेन्ट्स फ़ॉर हैवी मेटल रिमूवल फ्रॉम वेस्टवाटर विषय पर अपना व्याख्यान दिया, जिसमें बताया कि भारत एक कृषि प्रधान देश है जहाँ कृषि आधारित उपयोगी भागों को प्रयुक्त करने के उपरांत पराली या शेष अवशेषों को किसानों द्वारा जलाया जाता हैं जो कि जल,थल एवं वायु तीनों ही स्तर पर प्रदूषण का कारक हैं। अतः इन अप्रयुक्त वेस्ट/अवशिष्ट हिस्सो को जल शुद्धिकरण में उपयोगी पदार्थों में परिवर्तित करने के विभिन्न प्रभावी तरीकों पर उनके द्वारा किये गए शोध कार्य पर चर्चा की, इस तरह से निर्मित पदार्थ से कम लागत पर पानी में उपस्थित भारी धातु आयनों, रंगों, या किसी भी प्रकार के प्रदूषण के कारको को अत्यंत शीघ्रता से लगभग पूरी तरह से हटाया जा सकता है, इन अवशिष्ट भागों के उचित संग्रहण एवं प्रबंधन की वृहद स्तर पर व्यवस्था करने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला।
कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन एजिप्टीयन सोसाइटी ऑफ़ पॉलीमर साइंस के द्वारा आयोजित समूह चर्चा में मैटेरियल केमिस्ट्री के भविष्य पर गहन चर्चा की, जिसके अंतर्गत इजिप्ट, जर्मनी, फ्रांस, ऑस्ट्रिया, भारत से आये पॉलीमर साइंस के विशषज्ञों ने कृषि, पर्यावरण, इंडस्ट्री, चिकित्सा आदि के क्षेत्रों में पॉलीमर साइंस में किये गए नवीन अध्ययन एवं शोध पर भावी संभावनाओ पर चर्चा की एवं वैश्विक स्तर पर नए पाठ्यक्रम में मैटेरियल केमेस्ट्री के विषय को उच्च शिक्षा के लिए नयी सहयोगी योजनाओं के परिचालन पर गहन विचार किया।
कोटा विश्विद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा सिंह ने डॉ व्यास के सकुशल लौटने पर शुभकामनाएं दी तथा शोध निदेशक प्रो. रीना दाधिच ने कहा कि इस तरह की शोध चर्चाओं में भाग लेने से विश्विद्यालय के लिए कई नये शोध प्रस्तावों एवं अंतरराष्ट्रीय सहयोग की संभावनाओ का रास्ता खुलता हैं, जिसके द्वारा लोकल समस्याओं के समाधान के तरीकों में ग्लोबल लेवल पर प्रयुक्त की जा रही तकनीकों को समावेशित करने में सहायता मिलती हैं। इस कॉन्फ्रेंस के लिये डॉ व्यास को भारत सरकार के साइन्स एवं इंजीनियरिंग बोर्ड, नई दिल्ली के अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन के इंटरनेशनल ट्रैवेल सप्पोर्ट स्कीम के तहत इंटरनेशनल ट्रेवल ग्रांट से सहयोग मिला हैं।