जोधपुर ।कोरोना वायरस की वैश्विक महामारी के चलते स्कूल कॉलेज व कोचिंग संस्थानों के साथ देश की समस्त अध्ययन अध्यापन की व्यवस्था ठप सी पड़ी हैं...
जोधपुर ।कोरोना वायरस की वैश्विक महामारी के चलते स्कूल कॉलेज व कोचिंग संस्थानों के साथ देश की समस्त अध्ययन अध्यापन की व्यवस्था ठप सी पड़ी हैं। विद्यार्थी व अभिभावकों को इनके खुलने का बेसब्री से इंतजार हैं लेकिन वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए अभी असमंजस हैं क्योंकि सरकार ने 31 जुलाई तक शिक्षण संस्थानों में बच्चों के अध्ययन अध्यापन की रोक लगा रखी हैं ऐसे में बहुत से बच्चे मानसिक तनाव में जी रहे हैं साथ ही में पिछले चार महीनों से घर मे रहते हुए ऊब चुके हैं। बच्चों के तनाव को दूर करने के लिए कुड़ी भगतासनी हाऊसिंग बोर्ड निवासी विज्ञान शिक्षक भँवर मालवीय ने ब्रिलियंट साइन्स गुरु ऑनलाइन के नाम से विभिन्न सोशियल प्लेटफॉर्म जैसे यूट्यूब फेसबुक और वाट्सएप के माध्यम से शहर व गांवों के बच्चों के लिए विभिन्न घरेलू साइन्स तकनीक वैज्ञानिक सिद्धांत की गतिविधियां सिखाने का सार्थक प्रयास किया। उन्होंने ने यूट्यूब और फेसबुक के माध्यम से विज्ञान के सिद्धांत से जलने के लिए हवा की जरूरतए हवा का दबावए टेलीस्कोप का सिद्धांत दिन रात का बनना मौसम की जानकारी प्रकृति पर्यावरण आदि की जानकारी बच्चों को दी। साथ ही में मालवीय ने दैनिक विज्ञान गतिविधियां घर के सामान से करने योग्य की जानकारी देकर बच्चों के ज्ञान भण्डार में वृद्धि की। बच्चे आसानी से विज्ञान गतिविधियों को घर पर करके विज्ञान के सिद्धांत सीख सकते हैं। ऐसे में सारे दिन खाली समय में बच्चे पढ़ते हैं और उनका मनोरंजन भी होता रहे। इसके लिए विज्ञान शिक्षक भँवर मालवीय ने बहुत सरल तरीके से समझायी है। इसके साथ ही बच्चे घर पर रहते हुए विज्ञान प्रकृति व पर्यावरण से संबंधित चार्ट बनाकर भी कोरोना वायरस के तनाव से अपने आपको दूर कर रहे हैं। विज्ञान शिक्षक भँवर मालवीय ने बताया कि फेसबुक वाट्सएप और यूट्यूब के माध्यम से शहर के साथ ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे भी विज्ञान सिद्धांत सीखने में रुचि दिखा रहे हैं। कुड़ी भगतासनी लूणी तनावडा सालावास बासनी आदि जगह के बच्चे चार्ट बनाकर और विज्ञान गतिविधियां करके कोरोना काल मे अपने समय का सदुपयोग घर पर रहते हुए कर रहे हैं। मालवीय ने बताया कि पिछले चार महीनों से बच्चों के लिए विभिन्न विज्ञान गतिविधियों का वीडियो और विज्ञान गतिविधियां से संबंधित सामग्री बच्चों को फेसबुक और वाट्सएप के माध्यम से भेजे जा रहे हैं।

