जोधपुर हमारे देश में प्रत्येक वर्ष 1 लाख से अधिक व्यक्ति आत्महत्या करते हैं जिनमें अधिकांश युवा होते हैं| आत्महत्या के कुछ दिन पूर्व व्यक्त...
जोधपुर हमारे देश में प्रत्येक वर्ष 1 लाख से अधिक व्यक्ति आत्महत्या करते हैं जिनमें अधिकांश युवा होते हैं| आत्महत्या के कुछ दिन पूर्व व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन आता है कभी वह शर्मिंदगी, कभी निराश, कभी कुंठा आदि जैसे व्यवहार करता है एवं अपने आप को बेकार या दूसरों पर अपने आप को बोझ समझता है| कुछ व्यक्तियों में चिड़चिड़ापन भी दिखाई देता है| व्यक्ति में स्वयं के प्रति रुचि भी कम दिखाई देती है और वह स्वयं की स्वच्छता के प्रति भी रुचि कम दिखाता है| दोस्तों परिवार के सदस्यों से दूरी बनाना शुरू कर देता है, नजदीकी लोगों से संवेगात्मक संबंध अचानक से कम कर देता है| इस आत्महत्या की रोकथाम के लिए मनोवैज्ञानिक एक आम भूमिका निभा सकता है जिसमें वह व्यक्ति के संवेगों के प्रवाह की दिशा मोड़ सकता है, यह ठीक उसी प्रकार की घटना होती है जैसे एक तेज रफ्तार से आ रही कार के सामने किसी रुकावट आने से कोई दुर्घटना होने से बच जाए| ठीक उसी प्रकार आत्महत्या करने वाले व्यक्ति में संवेगों की तीव्रता चरम सीमा पर होती है, यदि मनोवैज्ञानिक उस तीव्रता की दिशा मोड़ दे, तो व्यक्ति को आत्महत्या करने से बचाया जा सकता है|
1.जो व्यक्ति आत्महत्या करना चाहता है वह बंद कमरे में आईने के सामने खड़े होकर पूर्व व वर्तमान अनुभवों को बोले|
2.मनोवैज्ञानिक यदि तत्परता से व्यक्ति का ध्यान प्रत्येक 2 मिनट बाद अलग-अलग वस्तुओं की तरफ ले जाए, तो भी संभावना है व्यक्ति आत्महत्या करने से बच जाए|
आत्महत्या करने वाले व्यक्ति के सामने उन परिवारों के सदस्यों की स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए कि अब व्यक्ति के आत्महत्या करने के बाद उसके परिवार के सदस्यों की क्या स्थिति है रिश्तेदार व पड़ोसी समाज में किस प्रकार से उसकी आत्महत्या के कारणों को बता रहे हैँ| यदि मनोवैज्ञानिक या सामाजिक कार्यकर्ता उपरोक्त सुझावों को ध्यान में रखकर व्यक्ति को समझाने की कोशिश करें तो उसे आत्महत्या करने से बचाया जा सकता है|