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भारत के लिए आज बेहद खास दिन है

फ़ाइल फोटो  कुशीनगर उत्तर प्रदेश में खुशियों का काल हर है चंद घंटे रह गए हैं बाकी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का महत्वाकांक्षी मिशन...


फ़ाइल फोटो 

कुशीनगर उत्तर प्रदेश में खुशियों का काल हर है चंद घंटे रह गए हैं बाकी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का महत्वाकांक्षी मिशन 2019

 आज दोपहर 2.43 बजे चांद के सफर पर रवाना होगा ‘बाहुबली’
 अबुलैस अंसारी ब्यूरो चीफ कुशीनगर
भारत के लिए आज बेहद खास दिन है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अंतरिक्ष में इतिहास रचने से बच चंद घंटे दूर है। इसरो के महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 को लेकर ‘बाहुबली’ रॉकेट दोपहर 2 दो बजकर 43 मिनट पर श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरेगा। इसके लिए रविवार शाम छह बजकर 43 मिनट पर उल्टी गिनती शुरू हो गई है। इसरो के प्रमुख के सिवन ने कहा है कि मिशन चंद्रयान-2 पूरी तरह से कामयाब सबित होगा और चंद्रमा पर नई चीजों की खोज करने में सफल रहेगा। पहले यह प्रक्षेपण 15 जुलाई की सुबह दो बजकर 51 मिनट पर प्रस्तावित था। हालांकि प्रक्षेपण से घंटेभर पहले रॉकेट में गड़बड़ी के कारण अभियान को रोकना पड़ा था।
चंद्रयान-2 को पृथ्वी की कक्षा में पहुंचाने की जिम्मेदारी इसरो ने अपने सबसे शक्तिशाली रॉकेट जियोसिंक्रोनस सेटेलाइट लांच व्हीकल- मार्क 3 (जीएसएलवी-एमके 3) को दी है। इस रॉकेट को स्थानीय मीडिया से ‘बाहुबली’ नाम दिया गया है। 640 टन वजनी रॉकेट की लागत 375 करोड़ रुपये है।
यह रॉकेट 3.8 टन वजन वाले चंद्रयान-2 को लेकर उड़ान भरेगा। चंद्रयान-2 की कुल लागत 603 करोड़ रुपये है। अलग-अलग चरणों में सफर पूरा करते हुए यान सात सितंबर को चांद के दक्षिणी धु्रव की निर्धारित जगह पर उतरेगा। अब तक विश्व के केवल तीन देशों अमेरिका, रूस व चीन ने चांद पर अपना यान उतारा है। 2008 में भारत ने चंद्रयान-1 लांच किया था। यह एक ऑर्बिटर अभियान था। ऑर्बिटर ने 10 महीने तक चांद का चक्कर लगाया था। चांद पर पानी का पता लगाने का श्रेय भारत के इसी अभियान को जाता है।

इसरो का सबसे मुश्किल मिशन
इसे इसरो का सबसे मुश्किल अभियान माना जा रहा है। सफर के आखिरी दिन जिस वक्त रोवर समेत यान का लैंडर चांद।